Tuesday 30 June 2015

शायद! अबकी बार...

अबकी बार मिलुंगा तुझसे, तो एक बात कहूँगा माँ।
तुझको देने थोड़ी खुशियाँ, तेरे साथ रहूँगा माँ ॥
शायद अबकी बार मिलूँ तो, कुछ चैन तुझे मैं दे पाऊँ।
उस गोदी में  बैठ के फिर, उस आँचल का सुख ले पाऊँ ॥
हर डगर पर हर मंजिल पर तेरे साथ रहूँगा माँ।
अबकी बार मिलुंगा तुझसे….. 

गीत कहानी तेरी सुनकर जिनको बड़ा हुआ था मैं।
याद आती है चिंता तेरी जब, बिस्तर में पड़ा हुआ था मैं॥
वो रातें जो मेरी खातिर, जाग के तूने काटी थीं।
मेरे हिस्से के ग़म लेकर जो खुशियाँ तूने बांटी थीं॥
अबकी बार मिला तो, तेरे हिस्से के ग़म लूंगा माँ।
अबकी बार मिलुंगा तुझसे…..

हुआ बड़ा मैं इतना लेकिन, छोटा अब भी लगता हूँ।
डरता हूँ दुनिया वालों से, बात नहीं मैं करता हूँ॥
कैसे तुमने वक़्त बदल कर, पाला था हम सारों को।
पापा  का भी प्यार दिया था, तुमने अपने प्यारों को॥
दुनिया में डटकर जीने की, तुझसे थोड़ी शक्ति लूंगा माँ।
अबकी बार मिलुंगा तुझसे…..

बात जो पुरे जीवन में, एक बार नहीं मैं कह पाया।
जितना तूने दिया, उसका आधा भी मैं न दे पाया॥
यही सोचता रहा उम्र भर दूर कहाँ तू जाएगी।
जब भी आँखें खोलूंगा मैं, खड़ी नज़र तू आएगी॥
अगर कभी फिर आया जग में, जन्म तुझसे ही लूंगा माँ।

अबकी बार मिलुंगा तुझसे, तो बस एक बात कहूँगा माँ।
तुझको देने थोड़ी खुशियाँ, तेरे साथ रहूँगा माँ ॥

Tuesday 2 June 2015

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